आखिर फेयर क्यूँ नहीं होते फिल्मों के ये अवार्ड..!
आखिर फेयर क्यूँ नहीं होते फिल्मों के ये अवार्ड..! - विनोद नागर अभी पिछले पखवाड़े ही खा़कसार ने फिल्म अवार्ड समारोहों के बदलते ठिकानों की तफसील करते हुए इन अवार्डों की लगातार घटती विश्वसनीयता के मुद्दे को भी हौले से छुआ था। और लीजिए पंद्रह फरवरी को गुआहाटी में 65वें फिल्म फेयर अवार्ड समारोह के संपन्न होते ही एक बार फिर विवादों की काली घटाएं छा गईं। 'आर्टिकल 15' के युवा लेखक गौरव सोलंकी को फेसबुक पर पहला फिल्म फेयर अवार्ड मिलने की बधाई दी ही थी, तभी गीतकार मनोज मुंतशिर का क्षोभ में भरा कड़वा ट्वीट पढ़ने को मिला। गुड बाय अवार्ड्स..!!! शीर्षकीय इस पीड़ादायक ट्वीट में उन्होंने अपनी व्यथा जिन शब्दों में अभिव्यक्त की उसका तर्जुमा कुछ इस तरह है- "प्रिय अवार्ड्स.. यद्यपि मैंने भरसक प्रयास किया, पर 'तू कहती थी तेरा चाँद हूँ मैं और चाँद हमेशा रहता है..' से बेहतर पंक्ति जीवन में लिख न पाया। लेकिन आप (अवार्ड्स) उन हृदयविदारक शब्दों का सम्मान करने में विफल रहे हैं, जिन्होंने करोड़ों भारतीयों को रूलाकर अपनी मातृभूमि की देखभाल के प्रति जागृत किया है। अब यदि इसके बाद भी मैं आपकी (अ