पत्रकारिता में धार के ध्वजधर / 29 मई 2012

पत्रकारिता में धार के ध्वजधर
* विनोद नागर
     पिछले साल के आखिरी दिन धार में जिला पत्रकार संघ द्वारा आयोजित “शब्द समागम -2011” में सम्मिलित होने का अवसर मिला. इस गरिमामय समारोह में पहुंचकर बहुत अच्छा लगा. अपनी कलम की धार से देश-दुनिया में “धार” को धारदार बनानेवाले ध्वजधरों को सम्मानित कर धार जिला पत्रकार संघ ने अपनी गरिमा और प्रतिष्ठा को नया आयाम दिया है. 
       दरअसल, राजा भोज की ऐतिहासिक धारानगरी में मीडिया के असल ध्वजधर तो दिवंगत राजेन्द्र माथुर, कृष्णलाल शर्मा और अरविन्द काशिव से लेकर महेश पांडे, सुरेश तिवारी, सोनाने बन्धु, सुरेन्द्र व्यास, सुभाष जैन, रमण रावल, प्रकाश हिन्दुस्तानी, हेमंत पाल, ऋषि पांडे, प्रवीण शर्मा, जैसे प्रखर पत्रकार रहे हैं, जिनके प्रेरणादायक व्यक्तित्व-कृतित्व आज भी प्रासंगिक हैं. खुशी है कि इस गौरवशाली परंपरा को आगे जारी रखनेवालों की फेहरिस्त में छोटू शास्त्री, सचिन देव, हेमंत शर्मा, सुनील सचान, प्रेमविजय पाटिल, सुनील शर्मा आदि कई नाम जुड़ते जा रहे हैं.  
निजी तौर पर धार का मेरे जीवन में विशेष महत्व रहा है. इसे दुर्लभ संयोग ही कहेंगे कि शासकीय सेवा में पिता की दो बार पदस्थापना के चलते मेरी औपचारिक शिक्षा की शुरुआत और समापन धार में हुआ. 1962 में विक्रम ज्ञान मंदिर परिसर के बालमंदिर में “अ” अनार का सीखने से शुरू हुआ पढ़ाई-लिखाई का सिलसिला बदनावर, बड़नगर, मनासा, मंदसौर, उज्जैन की विभिन्न शिक्षण संस्थाओं से गुजरते हुए 1978 में धार के शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए. करने के साथ पूरा हुआ. धार में मुझे विद्यार्थी जीवन में साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में बढ़-चढकर हिस्सा लेने का अवसर मिला...सच्चे और अच्छे दोस्त मिले...एक उभरते लेखक के बतौर पहचान मिली...नौकरी का पहला नियुक्तिपत्र मिला..! गोयाकि धार और धार से जुड़ी यादें आज भी स्मृति पटल पर भलीभांति अंकित हैं.  
विश्व के सर्वाधिक बड़े लोक प्रसारण माध्यम आकाशवाणी / दूरदर्शन में संवाददाता और समाचार संपादक के बतौर अपने करीब ढाई दशक के कार्यकाल में मैंने भारतीय मीडिया के बदलते स्वरुप को निकट से देखा है. बारह फीसदी की सालाना विकास दर के साथ भारत में तैंतीस हज़ार करोड़ रु. का मीडिया और मनोरंजन उद्योग आज नई पीढ़ी के युवाओं को न केवल आकर्षित कर रहा है, बल्कि बेशुमार अवसर भी उपलब्ध करा रहा है. 
देश में पिछले एक-डेढ़ दशक में इलेक्ट्रानिक मीडिया का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है. टीवी  चैनलों की संख्या बढ़कर आठ सौ तक पहुँच गई है और दो सौ चैनल प्रतीक्षा सूची में हैं. नवम्बर 2003 में प्रारंभ दूरदर्शन का डीडी न्यूज़ चैनल देश में अपनी तरह का अकेला द्विभाषी (हिन्दी-अंग्रेजी) न्यूज़ चैनल है जो ख़बरों को सही, संतुलित और सोद्देश्य ढंग से प्रस्तुत करते हुए अधिकांश आबादी तक सीधे निशुल्क पहुँचता है. अब केबल नेटवर्क विधेयक लागू होने के बाद इलेक्ट्रानिक मीडिया का ट्रांसफार्मेशन डिजिटल कंटेंट के माध्यम से ही होगा तथा दर्शक अपनी पसंद व ज़रूरत के अनुसार टीवी चैनल्स देख सकेंगे. 

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