अनोखे सिनेमाई ब्रह्माण्ड के विस्मय का पटाक्षेप ‘एवेंजर्स एंडगेम’ / 28 अप्रैल 2019


सिने विमर्श 

अनोखे सिनेमाई ब्रह्माण्ड के विस्मय का पटाक्षेप ‘एवेंजर्स एंडगेम’ 
· विनोद नागर

भारत में प्रारंभ से ही एक बड़ा दर्शक वर्ग विदेशी फिल्मों का दीवाना रहा है. चार्ली चैपलिन, लारेल हार्डी सहित कार्टून फिल्मों के किरदार हों या रक्त पिपासु ड्रेकुला का डरावना चरित्र, जासूस जेम्स बांड के  जांबाज़ कारनामे हों अथवा सुपर मेन / स्पाइडर मेन के हैरतंगेज करिश्मे हर दौर में दर्शकों की भीड़ खींचने में सफल रहे हैं. हॉलीवुड के वार्नर ब्रदर्स, कोलम्बिया, पेरामाउंट, युनिवर्सल, वाल्ट डिज्नी, ट्वेंटीएथ सेंचुरी फॉक्स सरीखे विशाल स्टूडियो विश्व सिनेमा के बड़े ब्रांड रहे हैं और सिने जगत में इनकी जबरदस्त धाक रही है.
हॉलीवुड और बॉलीवुड की फिल्मों में सबसे बड़ा फर्क बजट और गुणवत्ता के स्तर पर ही नहीं बल्कि कंटेंट को लेकर भी रहा है. पिछली सदी में मार्वल अमेरिका में कॉमिक्स पुस्तकों का सर्वाधिक लोकप्रिय ब्रांड था. कालांतर में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में पदार्पण व डिज्नी की अनुषांगिक कंपनी की बदौलत उसने मनोरंजन के आकाश में ऊँची छलांग लगाई और मार्वेल सिनेमेटिक यूनिवर्स नामक पूरा का पूरा काल्पनिक ब्रह्माण्ड रच डाला. इस नई आधुनिक तिलस्मी दुनिया और उसके अजीबोगरीब किरदार से साक्षात्कार कराने आई अब तक की सभी इक्कीस फिल्मों ने दुनियाभर में धूम मचाकर अकूत कमाई की है.
25 अप्रैल को इस सुपर हीरो मूवी का विश्व व्यापी प्रीमियर कई मायनों में चकित करने वाला था जब उसने पहले ही दिन दुनिया भर में 169 मिलियन डॉलर की कमाई का आंकड़ा छू लिया. भारत में भी शुक्रवार को ढाई हज़ार से ज्यादा स्क्रीन पर रिलीज़ हुई ‘एवेंजर्स एंडगेम’ को दर्शकों ने हाथों हाथ लिया. ऑन लाइन टिकट उपलब्ध कराने वाले डिजिटल प्लेटफार्म ‘बुक माय शो’ के मुताबिक रिलीज़ से पूर्व ही 25 लाख टिकटों की एडवांस बुकिंग हो चुकी थी. अत्यंत महँगी टिकट दरों के बावजूद हमारे यहाँ फिल्म पहले दिन 53 करोड़ रू की कमाई करने में सफल रही. भारत में किसी विदेशी फिल्म की प्रथम दिवस की अंधाधुंध कमाई का यह मौद्रिक शगुन बॉलीवुड के पैरोकारों की आँखें खोलनेवाला है जो जो अभी भी अपनी फिल्म की रिलीज़ को छुट्टियों और त्यौहार विशेष से जोड़कर हवाई किले लड़ाने में मशगूल हैं. 
‘एवेंजर्स एंडगेम’ के रूप में भारतीय दर्शकों को भी विस्मयकारी साइंस फिक्शन जॉनर की इस अद्भुत श्रंखला की आखिरी कड़ी का बेसब्री से इंतज़ार था. 2012 में धूम मचाने वाली ‘द एवेंजर्स’ फिर ‘एवेंजर्स: ऐज ऑफ़ अल्ट्रान’ और ‘एवेंजर्स: इन्फिनिटी वार’ के बाद अब ‘एवेंजर्स एंडगेम’ आई है जिसे मार्वेल सिनेमेटिक यूनिवर्स श्रंखला की बाईसवीं और अंतिम फिल्म बताया जा रहा है. मार्वल द्वारा रचे इस अनोखे सिनेमाई ब्रह्माण्ड के विस्मय का पटाक्षेप निस्संदेह देखने लायक है. यह भी सही है कि एमसीयू श्रंखला की इस अंतिम फिल्म का पूरा मज़ा उन्ही दर्शकों को सबसे ज्यादा आएगा जिन्होंने पूर्ववर्ती फ़िल्में चाव से देखी हैं.
निर्माता केविन फीग की रसो बंधुओं द्वारा निर्देशित इस उपसंहारात्मक फिल्म की कहानी पिछली कड़ियों में खलनायक थेनोस के साथ हुए महासंग्राम में जीवित बचे कुछ प्रमुख किरदारों की हताशा और निराशा से प्रारंभ होती है.  केप्टन अमेरिका, हॉक आई, आयरन मैन, एंट मैन, ब्लेक विडो आदि फिर एक बार टाइम मशीन के जरिये अतीत के गुजरे कालखंड में जाकर उस दैत्याकार बाहुबली थेनोस को ख़त्म करने के आखिरी मिशन पर निकलते हैं, जो अपनी अँगुलियों में पांच विलक्षण शक्तियों वाले रत्न धारण करने के बाद छठी इंद्री के रूप में अनंतशक्ति वाली मणि हासिल कर समूचे ब्रह्माण्ड पर राज करना चाहता है.  
थेनोस के नापाक मंसूबों पर पानी फेरने की यह आखिरी कोशिश यकीनन काफी दिलचस्प बन पड़ी है. हालाँकि मध्यांतर तक फिल्म सामान्य ज़िन्दगी जी रहे सुपर हीरोज को टाइम डकैती के आखिरी मिशन के लिये एकजुट करने में ही निकल जाती है. बहरहाल इस निर्णायक लड़ाई की रोमांचक अनुभूति इसलिये भी रोंगटे खड़े करती है क्योंकि आखिरी बाज़ी में बारी बारी से वे सारे काल्पनिक पात्र इस जंग में मदद के लिये शरीक होने पहुँच जाते हैं जिन्हें दर्शक इतने सालों में विस्मृत कर चुके हैं.
कुल मिलाकर निर्देशकद्वय एंथनी रसो और जोसेफ रसो की जोड़ी ने इक्कीस लोकप्रिय फिल्मों से दर्शकों के बीच रचे एक अद्भुत मायावी संसार की मोह माया को चरमोत्कर्ष पर पहुंचाकर उसकी पूर्णाहुति का नेक प्रयास किया है. इसमें उन्हें रॉबर्ट डाउनी जूनियर, क्रिस इवान्स, मार्क रफेलो, क्रिस हेम्सवर्थ, जेरेमी रेनर, ब्रेडली कूपर, स्कार्लेट जॉनसन, जोश ब्रोलिन, पॉल रड, ब्री लार्सन, केरी गिलियन जैसे स्थापित कलाकारों का यथोचित सहयोग मिला है. काल्पनिक ब्रह्माण्ड के अद्भुत नजारों की सैर कराने वाली साइंस फिक्शन फिल्मों में सबसे बड़ी भूमिका तकनीक की होती है और फिल्मांकन तथा पार्श्व संगीत भी इसमें अहम् रोल निभाते हैं. इन सारी कसौटियों पर फिल्म खरी उतरती है.
फिल्म में राजेश खट्टर, निनाद कामत, वैभव ठक्कर, रोहित रॉय, शक्ति सिंह, मोना शेट्टी की आवाज़ में डब किये हिन्दी संवाद दर्शकों को कम रिझाते हैं- मैं वो अनहोनी हूँ जिसे कोई टाल नहीं सकता.. देश का भविष्य इसी तशरीफ़ पर टिका है.. इसकी स्मृति किसी और की चेतना से जुड़ी हुई है.. टेंशन में भी अटेंशन नहीं खोना चाहिए.. लोगों के भले से पहले मैं खुद का भला सोचता हूँ.. आप दुनिया की सारी दौलत मिलाकर भी ब्रह्माण्ड का एक पल नहीं खरीद सकते.. हम वक़्त के साथ खेल रहे थे वक़्त हमारे साथ खेल गया.. इंसान अपने बीते हुए कल को जख्म की तरह चाटता है.. इस दुनिया को केप्टन अमेरिका के बिना जीना होगा..
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